2013 की बात है| धूम 3 रिलीज़ हुई थी| माँ देहरादून में थी नाना-नानी के पास| माँ को पिक्चरों का बड़ा शौक है पर अब तो कभी कभी ही देख पाती हैं| देहरादून में हमारे घर के पास ही नया multiplex बना है| नाना-नानी को तो अब पिक्चरों का शौक नहीं रहा पर धूम 3 का माँ का बड़ा मन था तो नाना-नानी को खींच कर multiplex ले गई| आप लोगों को धूम 3 का बारे में पता नहीं है तो ट्रेलर यहाँ देख सकते हैं|
दोपहर का शो था| टिकेट खरीद कर ये तिकड़ी सिनेमा पहुंची| अपनी सीटों पर इन्होने कब्ज़ा किया| पिक्चर शुरू हो गई| 15 मिनट बाद नानी थोड़ी बेचैन हो जाती हैं| सीट में हिलते हुए वे माँ की तरफ मुड़ी और बोली -
माँ: क्या हुआ?
नानी: मैं घर जा रही हूँ|
माँ: मगर क्यूँ?
नानी: पिक्चर में कुछ हो तो रहा नहीं है| लोग सिर्फ मोटरसाइकिल (motorcycle) ही चलाए जा रहें हैं| मैं सोने जा रही हूँ|
इतना कह कर नानी उठ कर घर चली गई| लगता है उदय चोप्रा का आकर्षण भी नानी को धूम 3 में नहीं रोक सका|
'अरे ये पिक्चर शुरू कब होगी ?'माँ थोड़े अचम्भे में बोली -
'पिक्चर तो शुरू हो चुकी है| 15 मिनट से चल रही है|'नानी ने मन में कुछ सोचा होगा| चुप चाप स्क्रीन की तरफ वापस मुड़ गई और शायद पिक्चर को और ध्यान से देखने लगी| माँ को लगा की उनका मन लग गया है पिक्चर में| सब पिक्चर में इंटरवल हुआ तो नानी उठ कड़ी हुई|
माँ: क्या हुआ?
नानी: मैं घर जा रही हूँ|
माँ: मगर क्यूँ?
नानी: पिक्चर में कुछ हो तो रहा नहीं है| लोग सिर्फ मोटरसाइकिल (motorcycle) ही चलाए जा रहें हैं| मैं सोने जा रही हूँ|
इतना कह कर नानी उठ कर घर चली गई| लगता है उदय चोप्रा का आकर्षण भी नानी को धूम 3 में नहीं रोक सका|